चित्र व आलेख- विकास वैभव
Mamuliya- आश्विन माह कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से अमावस्या तक मनाया माने वाला यह पर्व अविवाहित कन्याओं का लोकप्रिय त्योहार है। बालिकायें किसी कंटीले वृक्ष ( बेर या बबूल ) की टहनी लेती हैं और किसी लिपे-पुते स्वच्छ स्थान पर रखतीं हैं। इस कॅंटीली टहनी की स्थापना के बाद उसका अलंकरण किया जाता है। उस टहनी पर जितने भी काॅंटे होते है, उन सब पर तरह-तरह फूल लगाये जाते है। जिससे टहनी का कॅंटीलापन समाप्त हो जाता है और वहाॅं मन मोहने वाले विभिन्न प्रकार के पुष्पों की अलौकिक छटा बिखर जाती है।
बालिकायें फूलों से सजी इस मामुलिया का द्वार-द्वार प्रदर्शन करती हैं तथा गाती हैं।
मामुलिया मोरी मामुलिया, कहाॅं चली मोरी मामुलिया,
ममुलिया के आये लिवौआ, झमक चली मोरी मामुलिया,
लैै आऔ लै आऔ चम्पा चमेली के फूल, सजाऔ मोरी मामुलिया। मामुलिया के …
जितै राजा आजुल जू को बाग, उतै मोरी मामुलिया,
रानी आजी देखन गई बाग, सजाय लाई मामुलिया,,
लै आऔ लै आऔ पीरे कनेर के फूल, सजाऔ मोरी मामुलिया। मामुलिया के …
जितै जितै वीरन जू को बाग, उतै मोरी मामुलिया,
रानी भाभी देखन गई बाग, सजाय लाई मामुलिया,
लै आऔ लै आऔ घिया तुरईया के फूल, सजाऔ मोरी मामुलिया। मामुलिया के …
जितै जितै बाबुल जू को बाग, उतै मोरी मामुलिया,
रानी मैया देखन गई बाग, सजाय लाई मामुलिया,
लै आऔ लै आऔ रैजवा तुरईया के फूल, सजाऔ मोरी मामुलिया। मामुलिया के …
अति सुंदर आलेख एवं मीमांसा वैभव जी 👌
Very good work