चित्र व आलेख- विकास वैभव
SUATA- बुन्देलखण्ड में कन्याओं का त्योहार सुआटा आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से प्रारम्भ होकर नवमी तक मनाया जाता है। इस में घर के बाहर सुआटा की मिट्टी की प्रतिमा दीवार पर बनाई जाती है। सुआटा के दोनों तरफ सूर्य और चन्द्रमा आकृति बनाई जाती हैं। सुआटा को काॅंच की चूड़ियों और कौड़ियों से सजाया जाता है। उसके सामने जमीन पर रंग विरंगे कलात्मक चैक पूरे जाते हैं। आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को सूर्योदय से पूर्व आसपास की कन्यायें उस स्थान पर एकत्र हो जाती हैं और गीत गाते हुए सुआटा खेलती हैं। आठवें दिन काएं उतारी जाती है।

लोककथा है कि सुआटा नामक राक्षस बालिकाओं को परेशान करता था। बालिकायें उसकी पूजा करती थी, जिससे कि वह उन्हें तंग न करे। कालान्तर में टेसू नामक वीर ने सुआटा को मार दिया और उसकी पुत्री झिंझिया से विवाह कर लिया। विवाह के बाद सुआटा का अंग-प्रत्यंग तोड़ कर फेंक दिया जाता है। लोग उसकी कौड़ियां लूट कर ले जाते हैं तथा शुभ मानते हुये अपनी तिजोरी में रखते हैं।

उठो उठो सूरजमल भैया भोर भये नारे सुआटा, मलिनी खड़ी है तेरे द्वार,
इन्दलगढ़ की मलिनी नारे सुआटा, हाटई हाट बिकाय।
सूरजमल के घुल्ला छूटे, चन्द्रामल के घुल्ला छूटे,
—– के घुल्ला छूटे, —- के घुल्ला छूटे।।
हिमांचल जू की कुवॅंर लड़ायती नारे सुआटा, बघेलन बेटी निहोरा त्योहारा नाय,
रईयो बेटी नौ दिना, दसारें दिन करियें सिंगार।
सूरजमल की कुवॅंर लड़ायती नारे सुआटा, कीरत बेटी निहोरा त्योहारा नाय,
रईयो बेटी नौ दिना, दसारें दिन करियें सिंगार।
चन्द्रामल की कुवॅंर लड़ायती नारे सुआटा, चन्द्रा बेटी निहोरा त्योहारा नाय,
रईयो बेटी नौ दिना, दसारें दिन करियें सिंगार।
—बेटी निहोरा त्योहारा नारे सुआटा, — बेटी निहोरा त्योहारा नाय,
रईयो बेटी नौ दिना, दसारें दिन करियें सिंगार।
— बेटी निहोरा त्योहारा नारे सुआटा, — बेटी निहोरा त्योहारा नाय,
रईयो बेटी नौ दिना, दसारें दिन करियें सिंगार।
तिल कि फूल तिली के दाने, चन्दा उगे बड़े भुन्सारे,
उगई नर वारे चन्दा, हो घर के लिपना पुतना।
सास मरी दै दै घड़ियां, ननद मरी कोसों घड़ियां,
हम आये मरे हम धाये मरे, पावन वाटी पाय मरें।।
माई कौ कहौ न कर है, बाबुल कौ कहौ न कर हैं,
पनिया की खेप न धर हैं, गुबरा की हेल न धर हैं।
बासी कौ कौर न दै है, ताती हुये तो लप लप खै हैं,
ठाढे़ हुए तौ सरगै जै है, बैठी हुए गढ़ गढ़ जै हैं।
झिलमिल झिलमिल आरती, महादेव तेरी पारती।
को भओ नौनौ, सूरज भये नौने,
चन्द्र भये नौने, — भये नौने,
नौने सलौने भौजी कन्त तुम्हारे भौजी,
विरन हमारे भौजी नौने हो,
झिलमिल झिलमिल आरती, महादेव तेरी पारती।।
हमाई गौर की ऑंखई देखो, छाॅंई देखो, का पैरे देखो,
नाक की नथुली देखो, कानन कुण्डल देखो,
माथे बेंदी देखो,गले हमेर देखो, हाथन चूरा देखो,
कम्मर पेटी देखो, पावन पायल देखो।
पराई गौर की ऑंई देखो, छाॅंई देखो, का पैरे देखो,
नाक नकटी देखो,कान बूॅंचे देखो,कम्मर लचकी देखो,
हाथन लूली देखो, पावन लगड़ी देखो।।
वारे से भईया लड़ाईन जै है, लड़ाईन जै है,चढाईन जै है,
लाल छड़ी चमकावत जै है, नीले से घुड़वा कुदावत जै है।
वन की चिरैया चुनावत जै है, अन्धे कुआ उघरावत जै है,
लड़ाईन जै है,चढाईन जै है, वारे से भईया लड़ाईन जै है।।
काठ कठीले काठे से, पाॅंचों भईया पाण्डे से, छठई बहिन गौर सीद्व
गौरा रानी कहाॅं चलीं, मड़वा के तीरे, मड़वा सीयरों गोर पानी पियरों,
बिखरे चावल ध्वजा नारियल बेल की पाती, गौरा ऐवाती।।
