चित्र व आलेख- विकास वैभव
Mahalakshmi Pooja- आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी को महालक्ष्मी का यह व्रतोत्सव मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है, जीवन की सारी कठिनाइयां दूर होती हैं और माॅं लक्ष्मी की कृपा से धनधान्य की प्राप्ति होती है। सुहागिन स्त्रियों द्वारा काली मिट्टी से निर्मित हाथी की पूजा की जाती है। हाथी पर राजा रानी की प्रतिमायें विराजमान रहती है। पूजा में एक गड़ा (मोटा धागा) रखा जाता है जिस में सोलह गाॅठे होती हैं। बेसन व गुड़ से महालक्ष्मी, राजा, रानी तथा हाथी के गहने व प्रसाद में मीठे एवं बेसन के सोलह “सुरा” बनते है। हाथी के लिए ताजा दूब अर्पित की जाती है। महिलाऐं पूजा करते समय सोलह बार इस गीत को गातीं हैं।
आमोती दामोती रानी,
पोलावल पाटन गाॅंव, मगरसेन राजा,
बम्मन बरूआ कहै कहानी।
हम सौं काती तुम सौं सुनती,
सोरा बोल की एक कहानी।
