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करवा चौथ

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चित्र व आलेख- विकास वैभव

Karva Chauth- कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी को पति की मंगल कामना हेतु इस व्रत को रखती हैं। इस व्रत में दीवार पर एक सुन्दर आलेखन बनाया जाता है। जिस के अन्दर गणेश, शंकर-पार्वती, कार्तिकेय, राधा-कृष्ण, करवा, मोर, तोता, तुलसी, बिरबा, धोबी, उसकी स्त्री, गंगाजल, देवरानी-जेठानी, इमली का पेड़, सीड़ी पर बहिन, सात भाई, श्रृंगार का सामान आदि कई चीजें बनाते हैं।

चन्द्र दर्शन कर व अर्ध्य देकर ‘करवा’ का पूजन करती हैं तथा इस के बाद ही पति द्वारा पानी व प्रसाद ग्रहण करती हैं।

करवा चैथ की कथा का सार यह है कि शाकप्रस्थपुर के वेदधर्मा ब्राह्मण की पुत्री वीरवती ने करक चतुर्थी का व्रत किया था। परन्तु उससे भूख सहन नहीं हुई और वह व्याकुल हो गई। तब उसके भाई ने पीपल के पेड़ की आड़ में आतिशबाजी का प्रकाश फैलाकर चन्द्रोदय दिखा दिया और वीरवती को भोजन करवा दिया। परिणाम यह हुआ कि उसका पति अज्ञात बीमारी से ग्रसित हो गया। तब वीरवती ने बारह महीने तक प्रत्येक चतुर्थी का व्रत किया, परिणाम स्वरूप उसका पति पूर्ण स्वस्थ्य हो गया।

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