Home रीति रिवाज़ बुन्देली राई नृत्य

बुन्देली राई नृत्य

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पेन्टिंग व आलेख- विकास वैभव

Bundeli Raee Dance- यह नृत्य बेड़नियों द्वारा सम्पन्न वर्ग को रिझाने के लिये किया जाता है। नर्तकी नौकली का घाघरा, चोली और पारदर्शी चुनरी ओढ़ती है तथा दोनों हाथों में रूमाल व पाॅव में घुॅंघुरू होते हैं। पुरुष वादक पगड़ी, सलूका और धोती पहनते है। बेड़नियां नृत्य करते हुये, अपने शरीर को इस प्रकार लोच और रूप देती हैं कि मस्त होकर नाचने वाले मोर की आकृति का आभास होता है। नृत्य मुद्रा में अपने चेहरे को घूॅघट से ढक कर लंहगे को दो सिरों से जब नर्तकी अपने दोनों हाथों से कन्धों तक उठा लेती है, तो उस के पाॅवों से अर्द्ध चन्द्राकार यह लहंगा नृत्यमय मयूर के खुले पंखों का आभास देता है। नृत्य में पद संचालन इतना कोमल होता है कि नर्तक हवा में तैरती सी लगती है। इस में ताल दादरा होता है, पर अन्त में कहरवा अद्धा हो जाता है। पुरुष वर्ग साथ में लोक धुन गाता है, नृत्य की गति धीरे धीरे तीव्र हो जाती है। नृत्य के चरम पर ढोलकिया दोनों हाथों के पंजों पर अपने शरीर का पूरा बोझ सम्भाले हुये, टांगें आकाश की ओर कर बिच्छू की मुद्रा में आगे पीछे चलता है। राई के तेल से जलती मशालें ले कर मशालची नर्तकियों के पास रहता है। राई नृत्य के मुख्य वाद्य ढोलक, ढपला, झींका, मंजीरा तथा रमतूला हैं।

राई गाइउ न जाय, राई गाइउ न जाय। मारे शरम के मारें।1।
घर में दो दो नार, घर में दो दो नार। राजा बिड़निया पे रीझ गये।2।
अंधयारी है रात, अंधयारी है रात। बिन्नू को बून्दा दमक रऔ।3।
सपने में दिखात, सपने में दिखात। गोरी कमर बून्दा बारी की।4।
जिन मारौ गुलेल, जिन मारौ गुलेल। आफत की मारी चिरैया।5।
फूले रईयो गुलाब, फूले रईयो गुलाब। नईयां गरज भौंरा खौं।6।

2 COMMENTS

  1. राई नृत्य से संबंधित अत्यंत रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारी ।

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