Home स्थापत्य- झाँसी शिव मन्दिर, गैराहा (झाँसी)

शिव मन्दिर, गैराहा (झाँसी)

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चित्र व आलेख- विकास वैभव

Shiv Temple, Gairaha (Jhansi, U.P.)- जनपद झाॅंसी में स्थापत्य एवं कला की दृष्टि से अत्यन्त महात्वपूर्ण है गैराहा का शिव मन्दिर। झाॅंसी खजुराहो मार्ग (ने॰हा॰-75) पर बंगरा से उत्तर दिशा में 8 किमी॰ दूर ग्राम गैराहा में एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है यह शिव मन्दिर। बंगरा कस्बे से उल्दन जाने वाली सड़क से दाहिनी ओर जाने वाली सड़क से दाहिनी ओर जाने वाली सड़क से गैराहा पहुॅचा जा सकता है। मन्दिर तक पहुॅचने के लिये गौरइया इण्टर कालेज, गैराहा परिसर में लगभग 350 सीढ़ियाॅ चढ़नी पड़ती हैं। यह पूर्ण विकसित देवालय है और ऊॅंची जगती पर बना हुआ है। इस का निर्माण चन्देल काल में कीर्तिवर्मन के समय में हुआ था।

प्रस्तर निर्मित यह पूर्वाभिमुखी मन्दिर अर्द्धमण्डप, मण्डप, अन्तराल व गर्भगृह से परिपूर्ण है। मन्दिर के प्रवेश द्वार पर गंगा जमुना का अंकन है। उत्तरंग पर ब्रह्मा, विष्णु और नवगृह का अंकन है। स्तम्भशाखा के मध्य भाग में नृत्यरत कौमारी, वैष्णवी, ब्राह्मणी व उनके वाहन अत्यन्त दर्शनीय हैं। यह मन्दिर 11-12 शताब्दी की उत्कृश्ट कलाकृति है। गर्भगृह के मुख्य द्वार के सिरदल के मध्य में बहुभुजायुक्त खण्डित शिव तथा सिरदल के दाहिनी ओर चतुर्भुजी ब्रह्मा जिनका दाहिना प्रथम हाथ वरद्हस्त मुद्रा तथा दूसरे में श्रुवा एवं बायें प्रथम हाथ में कमण्डल तथा दूसरे में पुस्तक धारण किये हैं। मूल विग्रह के बायीं ओर खड़े चतुर्भुजी विष्णु जिनका दाहिना प्रथम हाथ वरदहस्त मुद्रा तथा दूसरे में गदा एवं बायें प्रथम में शंख व दूसरे में चक्र धारण किये हुये हैं। इसी पट्ट पर नवगृह का अंकन दर्शनीय है।
द्वार स्तम्भ के मध्य शाल पर ऊपरी भाग में नृत्य मुद्रा में चतुर्भुजी लक्ष्मी जिनका दाहिना प्रथम हाथ अभयहस्त मुद्रा में तथा बायें प्रथम हाथ में शंख तथा दूसरे में चक्र धारण किये हुये हैं। इसी के नीचे राधिका में चतुर्भुजी नृत्य मुद्रा मयूरवाहिनी कौमारी की है। गर्भगृह के बाॅंयी ओर के द्वार से लगी रथिका पर नृत्यरत ब्रह्मणी का अंकन है। सभी प्रतिमायें अत्यन्त सजीव एवं आकर्षक हैं। मंदिर के बाये भाग पर देवकुलिकाओं में अनेक देवी देवताओं की प्रतिमायें है जो वर्तमान में खडित हो चुकीं हैं। मन्दिर के बायी ओर प्रवेश करने पर प्रस्तर खण्ड पर उत्कार्ण शिलालेख में चन्देलवंशीय कीर्ति वर्मा का नाम स्पष्ट रूप से पढ़ा जा सकता है।
निकट के दर्शनीय स्थल- चम्पतराय का महल (कचनेव), जैन मन्दिर (रानीपुर) आदि।

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