चित्र व आलेख- विकास वैभव
Kali Temple, Jhansi (u.p.)- झाँसी नगर की पूर्व दिशा में लक्ष्मी ताल के पश्चिमी तट पर लक्ष्मी गेट के बाहर स्थित है यह काली मन्दिर। काली मन्दिर की महिमा यू तो पूरे देश में विख्यात है, और लोग इस सिद्धपीठ की शक्ति को स्वीकार कर नतमस्तक होते हैं। महाकाली का यह मन्दिर चूने और पत्थर से बना है। एक कक्षीय मन्दिर के गर्भगृह में देवी महाकाली जी का आकर्षक विग्रह प्रतिष्ठापित है। इस का निर्माण 1630 ई. में हुआ था। ऊँची जगती पर निर्मित यह मन्दिर बुन्देला शैली के भव्य गुम्बज से अलंकृत है। मुख्य द्वार पर कलाकृतियाँ भी बनी हुई हैं। रानी लक्ष्मीबाई अपने पति महाराजा गंगाधर राव के साथ माॅ काली के दर्शन हेतु यहाँ आया करतीं थीं। मुगलों तथा अंग्रेजों ने जब भी इस मन्दिर को तोड़ने का प्रयास किया, तब इस मन्दिर के पास रहने वाले लोगों ने उन से लोहा लिया और मन्दिर नहीं तोड़ने दिया।

कुछ वर्ष पूर्व तक यह मन्दिर ज्योतिष का केन्द्र बिन्दु हुआ करता था। सन् 1965 में मन्त्र शास्त्री पं. प्रेम नारायण त्रिवेदी ने शाक्त मण्डल की स्थापना कर, इस मन्दिर में लक्षचण्डी यज्ञ करवाया था। उसी दौरान तत्कालीन केन्द्रीय मन्त्री कमलापति त्रिपाठी का इस मन्दिर में आगमन प्रारम्भ हुआ। सन् 1978 में पूर्व प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी भी माता महाकाली के दरबार में सिर झुकाने पहुँचीं थीं। माई का आशीर्वाद पा कर ही उन्होंने कांग्रेस का चुनाव चिह्न बदला था। माता की कृपा से अभूतपूर्व बहुमत से कांग्रेस ने यह चुनाव जीता और इस अप्रत्याशित जीत के बाद प्रधानमन्त्री के रूप में श्रीमती इन्दिरा गाँधी माता महाकाली के दरबार में पहुँचीं। इस बार माता के आशीर्वाद के रूप में मिला “पंजा” उन्होंने इस मन्दिर में भी चढ़ाया था।
निकट के दर्शनीय स्थल- महालक्ष्मी मन्दिर एवं महाराजा गंगाधर राव की समाधी।