आलेख- पूर्णिमा सिंह

Vat Savitri Vrat- ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्य को बरगद के वृक्ष का पूजन करके यह बरा-बरसात का पर्व मनाया जाता है।

इस दिन महिलायें वट वृक्ष को जल से स्नान कराती हैं, फिर रोली, चंदन और अक्षत से तिलक करती हैं। धूप दीप जलाकर भोग लगातीं हैं। परिक्रमा करते हुये बरगद के तने पर कच्चे सूत के धागे को लपेटती हैं और श्रद्धा पूर्वक पूजन करती हैं तथा अपने पुत्र व पति के आरोग्य एवं अखण्ड सौभाग्य की कामना करती हैं।

वट के मूल में ब्रह्म, मध्य में विष्णु, ऊपर शिव और समग्र में सावित्री हैं। सती सावित्री के सम्मान में यह व्रत रखा जाता है। हाथ में भीगे चने लेकर कथा सुनती हैं, फिर फल श्रृंगार का सामान एक दूसरे को बांटती हैं।

इस दिन व्रती महिलाओं को वट सावित्री व्रत की पौराणिक कथा अवश्य सुननी चाहिए, जिससे व्रत की पूर्णता मानी जाती है। इस दिन व्रत करने के बाद जरूरतमंदों को फल, अन्न, वस्त्र एवं धन आदि का दान करना शुभ माना जाता है।

One thought on “वट सावित्री व्रत (बरा-बरसात)”
  1. सुन्दर और जानकारी पूर्ण आलेख।
    बधाई।

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