Home शख्शियत चित्रकार विकास वैभव सिंह  

चित्रकार विकास वैभव सिंह  

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बुन्देलखण्ड में कला और कलाकारों की यूं तो कोई कमी नहीं है लेकिन चित्रकला के क्षेत्र में विकास वैभव सिंह एक अलग स्थान रखते हैं।  बुन्देलखण्ड की ऐतिहासिक इमारतों, लोककलाओं और संस्कृति को उन्होने अपनी कला के जरिये जीवंत किया किया है।  चित्रकला एवं स्थापत्य की दृष्टि से बुन्देलखण्ड का अतीत अत्यंत समृद्धिशाली रहा है।  बुन्देलखण्ड के देवगढ़, कालिंजर, खजुराहो, दतिया व ओरछा में स्थापत्य एवं भित्तिचित्रों को देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। परन्तु ऐसे भी अनेक स्थान हैं जो उत्साही अन्वेषकों की प्रतीक्षा में अपने पुरातात्विक व कलात्मक वैभव को अपने में समाये हुये हैं | पर्यटन की दृष्टि से आपने अपने विरासत स्थलों का भ्रमण कई बार किया होगा परन्तु उन्हीं विरासतों को सुन्दर स्कैच व रंगीन चित्रों के रूप में हूँ-बहू प्रस्तुत करना व देखना अलग ही अहसास है।  इस अहसास को अपनी चित्रकारी के माध्यम से वयां किया है झाँसी के चित्रकार विकास वैभव सिंह ने।  

इतिहास व प्राचीन संस्कृति के प्रतीक के रूप में यदि गौरवशाली धरोहर को बहुत लम्बे समय तक मजबूती से यथावत खड़े देखना है, तो उन्हें अपने दिलों में जगह देनी होगी, यह बात बखूबी समझाकर आम लोगों को अपनी धरोहर से जोड़ने का हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं चित्रकार विकास वैभव सिंह।  अपने चित्रों के माध्यम से वे इन स्थलों को राष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शित कर चुके हैं।  विकास वैभव कला और कलाकारों को प्रोत्साहित करने वाली संस्था पुलिंद कला दीर्घा में सचिव के रूप में दायित्व संभाल रहे हैं।  विकास वैभव द्वारा बनाये गये चित्रों की देश के अलग-अलग स्थानों पर अब तक 11 एकल चित्र प्रदर्शनिया लग चुकी है।  इसके साथ ही 43 सामूहिक चित्र प्रदर्शनियों में उनके चित्र शामिल किये गए,जिन्हे दर्शको ने काफी सराहा है। 

        2001 में झाँसी की तत्कालीन मंडलायुक्त श्रीमती स्तुति कक्कड़ की प्रेरणा पाकर इन्होने बुंदेली शैली पर अध्ययन कर दुर्लभ प्राचीन बुंदेली चित्रों की अनुकृतियां तैयार की।  बुंदेली शैली पर आधारित विकास वैभव के चित्र रानी झाँसी के समकालीन चित्रकार सुखलाल की याद दिला देते हैं।  रंग योजना एवं कोमल रेखाओं की विशेषता आदि से परिपूर्ण ये चित्र 19 वीं सदी की कला शैली के हैं।  विकास वैभव ने ज्योतिष पर आधारित नवग्रह एवं बारह राशियों के चित्र बुंदेली शैली में बनाकर ज्योतिष में अपनी रूचि को दर्शाया है।  

इन्होने 2006 में झाँसी के तत्कालीन मंडलायुक्त शंकर अग्रवाल की संस्तुति पर तत्कालीन अपर मंडलायुक्त जे. पी. चौरसिया के निर्देशन में बुंदेलखंड के ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के स्मारकों के 70 से अधिक स्कैच तैयार कर अपने आप में एक रिकार्ड बनाया है। झाँसी समेत बुंदेलखंड के महत्वपूर्ण स्थलों को उन्होंने अपने चित्रों में दर्शा कर उनकी खूबसूरती एक अलग ही तरीके से प्रस्तुत की है।  वाटर कलर व जेल पेन के संयोजन से बने ये चित्र बरबस ही इन्हें प्रत्यक्ष रूप से देखने की लालसा पैदा करते है और जिन्होंने देखा है, उनके मन में इन्हें देखने का एक अलग ही नजरिया विकसित करते हैं। उन्होंने वाटर कलर व जेल पेन के माध्यम से बुंदेलखंड के ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के स्मारकों का अत्यंत सजीव चित्रण किया है। रंगों के बिना सिर्फ रेखाओं से बनी ये आकृतियां समूचे इतिहास को हमारे सामने जीवंत कर देती हैं। ऐतिहासिक स्थलों पर जाकर रेखांकन करना उस में अनुपात व आकृतियों का संयोजन करना यह सब विकास वैभव के लिए सहज है।  2017 में उ.प्र. राज्य पुरातत्व विभाग ने विकास वैभव द्वारा बनाये गए चित्रों की प्रदर्शनी लगाई थी। 

        2011 में विकास वैभव द्वारा ‘गौतम बुद्ध’ के जीवन पर आधारित 20 रेखाचित्रों का फोलियो तथा झाँसी के स्मारकों का फोलिओ राजकीय संग्रहालय, झाँसी ने प्रकाशित किया। झाँसी महोत्सव में कला पर्व के संयोजक  के रूप में विकास वैभव ने बुंदेलखंड की लोककलाओं और कलाकारों को प्रोत्साहित करने का अनूठा कार्य किया है। इन्होने रानकदे (चित्रकथा ), विमल सागर (चित्रकथा ), गढ़कुंडार में खंगार राजवंश, विरासत पथ-झाँसी, एवं कला हस्ताक्षर आदि पुस्तके लिखी है। विकास वैभव को दर्जनों पुरस्कारों  से नवाजा  चुका  है। दैनिक जागरण, झाँसी से इनके दो कॉलम “रस-रंग” तथा “बुंदेली वैभव”  प्रकाशित हो चुके हैं। देश की प्रसिद्ध पत्रिका “इण्डिया टुडे” में भी इनके चित्र प्रकाशित होते रहते हैं।

         यह हर्ष का विषय है की चित्रकार विकास वैभव कला के अंतरराष्ट्रीय कैनवास पर आ गए है।  इस मीडियोन्मुखी समय में भी एकांत साधना उनका स्वभाव है।  रेखाओ के इस जादूगर ने जहाँ एक ओर बुंदेलखंड में यत्र-तत्र बिखरी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को अपने कैनवास पर जीवंत किया वही दूसरी ओर यहाँ के लोक जीवन के विभिन्न पक्षों को भी बखूबी अभिव्यक्त किया है। यहाँ के मेले, तीज त्यौहार, लोक नृत्य, लोक नाट्य आदि कुछ भी इनकी तीखी कलात्मक प्रतिभा से अछूते नहीं रहे है।  हमें भरोसा है कि चित्रकार विकास वैभव इसी तरह अपनी साधना में लीन रहकर सफलता के नित नए आयामों का आलिंगन करते रहेंगे। अंत में आशा यही है कि –

इस पथ का उद्देश्य नहीं हो श्रांत भवन में रुक जाना। 

                       किन्तु पहुंचना उस सीमा तक जिसके आगे राह नहीं। 

आलेख – अनुकृति सिंह

6 COMMENTS

  1. Realy there is an urgent need to preserve and promote the depleting Jujhauti/Bundeli art, architecture, culture as also its performing art to attract the attention of tourists to enjoy its depth.

  2. बहुत बढ़िया विकास भाई आप ऐसे ही अपनी कला के माध्यम से बुंदेली वैभव को आगे बढ़ाते रहिए जिससे हम भी आपके गौरव और सम्मान के साक्षी बन सकें।

    • आदरणीय भाई साहब श्री विकास वैभव सिंह जी का कार्य निश्चित रूप से सराहनीय है आपने साधारण सामग्री की सहायता से बुंदेली धरोहर का जो असाधारण चित्रण किया है वह अदभुत है
      चित्रों के साथ दिया गया स्थल का संक्षिप्त विवरण हमारे ज्ञानार्जन वृद्धि करता है
      बुंदेली संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन में आपका योगदान अमूल्य है

  3. अद्बभुत प्रतिभा के धनी है आप। बुंदेलखंड निःसंदेह ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है । इसे आपने और अधिक स्पष्ट कर दिया इन धरोहर को एक्सप्लेन कर। 🙏🙏

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