चित्र व आलेख- विकास वैभव
Star Fort, Jhansi (u.p.)- झाँसी में सदर बाजार से बस स्टैंड जाने वाले मार्ग पर सेना पुलिस के प्रवेश द्वार से स्टार फोर्ट पहुँचा जा सकता है। सेना के अधिपत्य में रहने वाले स्टार फोर्ट का स्वरूप जितना अद्भुत व आकर्षक है, अतीत भी उतना ही वैभवशाली है। क्रान्ति की चिंगारी इसी स्टार फोर्ट से निकल कर पूरे देश में फैली थी। छः कोनों वाले स्टार की आकृति जैसा होने के कारण इस का नाम स्टार फोर्ट पड़ा। झाँसी के राजा रामचन्द्र राव ने सन् 1825 ई0 में अंग्रेजी सेना के एक रिसाले का प्रबन्ध स्वयं करना स्वीकार लिया था, अतः अंग्रेजी सेना का शिविर झाँसी में स्थापित हो गया।

अंग्रेजों ने अपने खजाने और सैन्य सामग्री की सुरक्षा के लिए छावनी क्षेत्र में लगभग 8 एकङ भूमि पर इस अभेद्य दुर्ग ‘स्टार फोर्ट’ को बनवाया था। अंग्रेजों ने मिट्टी व पत्थर का प्रयोग करते हुए छः कोण वाले तारानुमा किले का निर्माण कराया। इस प्रांगण में 16 विशाल कक्ष एक दूसरे से सटाकर दो पंक्तियों में इस प्रकार निर्मित किए गये हैं कि सम्पूर्ण भवन का वाह्य आकार अंग्रेजी वर्णमाला के ‘यू’ अक्षर के जैसा हो गया है। ये सभी कक्ष विशाल चौकोर गुम्बदों से आच्छादित हैं। गुम्बद ऊपर से चपटे हैं, इनमें बीचोंबीच बारूद की गैस निकलने के लिए छिद्र बनाए गए थे। दुर्ग के अन्दर ही अंग्रेजों ने कोषागार, शस्त्रागार एवं बैंक भी बनवाया था। अन्दर एक बन्दीगृह भी बनाया गया, जिसमें राजस्व के बकायेदरों को बन्द किया जाता था। इसकी सुरक्षा के लिए 14 कैवलरी को रखा गया था। किले की बाह्य सुरक्षा के लिए हर कोण पर एक-एक तोप भी लगाई गई।
10 मई 1857 को मेरठ छावनी में कारतूस काण्ड हो गया, जिससे ब्रिटिश फौज में शामिल भारतीय सैनिकों मैं स्वराज की चिंगारी भङक उठी। 4-5 जून सन् 1857 ई0 को स्टार फोर्ट में तैनात 14 कैवलरी और 12 बंगाल इन्फेन्ट्री में शामिल भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह कर के झाँसी में प्रथम स्वतन्त्रता युद्ध का विगुल फूॅक दिया था। उस समय इस फोर्ट में गोला बारूद तथा बन्दूकों के विशाल भण्डार के साथ ही पाँच लाख रुपये का खजाना भी था। क्रान्तिकारी सैनिकों ने स्टार फोर्ट पर आक्रमण कर दिया और दक्षिणी बुर्ज ध्वस्त करते हुए खजाने एवं बैंक पर कब्जा कर लिया। इस विद्रोह के बाद स्टार फोर्ट के साथ ही झाँसी दुर्ग पर भी भारतीय सैनिकों का कब्जा हो गया था। अंग्रेजों ने डरकर रानी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। क्रान्तिकारी सैनिकों ने रानी को सत्ता सौंप दी। लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को महल में शरण दी तथा क्रान्तिकारी सैनिकों को उपहार देकर विदा किया। स्टार फोर्ट से निकली यह चिंगारी पूरे देश में फैल गई। अन्ततः सन् 1947 में हमारा देश आजाद हो गया।
प्रारम्भ से ही सेना के अधिकार क्षेत्र में होने के कारण आम जनता इससे अनभिज्ञ रही। समाजसेवी मुकुन्द मेहरोत्रा ने सेना के अधिकारियों के समक्ष स्टार फोर्ट से सम्बन्धित इतिहास एवं दस्तावेजों के आधार पर इसके महत्व को सिद्ध किया। मुकुन्द मेहरोत्रा के अनुरोध पर 4 जून 2010 को स्टार फोर्ट प्रथम बार आम जनता के लिए खोला गया। इसके बाद सेना द्वारा प्रति वर्ष 3 व 4 जून को स्टार फोर्ट आम जनों के अवलोकनार्थ खोला जाने लगा। 3 जून 1917 को स्टार फोर्ट में पुलिन्द कला दीर्घा के तत्वाधान में स्थानीय चित्रकारों द्वारा स्टार फोर्ट से सम्बन्धित अपनी कृतियों को प्रदर्शित किया गया । प्रदर्शनी का उद्घाटन बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो0 सुरेन्द्र दुबे ने किया था।
निकट के दर्शनीय स्थल- गुसांई मन्दिर समूह (एबट मार्केट) व सेन्ट ज्यूड्स चर्च आदि।
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