आलेख- विकास वैभव
Mukund Mehrotra, Social Worker, Jhansi (U.P.)- पिछले 60 वर्षों से बुन्देलखण्ड की विरासत एवं संस्कृति को सहेजने वाले समाजसेवी मुकुन्द मेहरोत्रा 84 वर्ष की आयु में आज भी उर्जावान हैं। उनके इस कर्मयोग ने आज की पीढ़ी को कई प्राचीन परम्पराओं से रूबरू करवाया है, साथ ही कला व संस्कृति को भी पुनर्जीवन दिया है। मुकुन्द मेहरोत्रा का जन्म 19 अगस्त सन् 1942 ई. में झाँसी में हुआ था। इनके पिता स्व. श्री सुन्दर लाल मेहरोत्रा जी इस क्षेत्र के प्रतिष्ठित परिवार से थे। शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त इन्होंने व्यापार आरम्भ किया और एक प्रतिष्ठित व्यापारी, नन्दनी सिनेमा, पुष्पवाटिका पैट्रोल पम्प एवं भू-स्वामी के रूप में समृद्धि प्राप्त की। आपकी जीवन संगिनी श्रीमती सुनीता मेहरोत्रा भी समाज सेवा में आपका भरपूर सहयोग करतीं रहतीं हैं। मानव-सेवा, प्रकृति संरक्षण, पर्यटन, कला एवं संस्कृति के विकास के लिए आपका जीवन समर्पित रहा है। सरल-सौम्य, मृदुभाषी, बहुआयामी व्यक्तित्व मुकुन्द जी का जीवन युवाओं के लिए अनुकरणीय आदर्श हैं।

झाँसी लायन्स क्लब के चार्टर, लायन्स इन्टरनेशनल के संस्थापक सदस्य, सरकार द्वारा नामित चीफ वार्डन, नागरिक सुरक्षा (1977-2005 तक) आदि जनहित के कार्यों में संलग्न रहे। आप कारगिल विजय ट्रस्ट, मुन्नालाल महाजन ट्रस्ट, झाँसी तथा पी. एल. कपूर ट्रस्ट, झाँसी के ट्रस्टी हैं। आप पुलिन्द कला दीर्घा, बुन्देली लोककला संगम संस्थान व नागरिक संघ, झाँसी के अध्यक्ष पर सुशोभित होकर बुन्देलखण्ड के कलाकारों, प्रतिभावान युवाओं को सदैव प्रोत्साहित करते रहे हैं। यू.पी.साइन्स सेन्टर के संस्थापक कोषाध्यक्ष (1991 से), झाँसी महोत्सव समिति के संस्थापक सदस्य, भारतीय लोककला मण्डल, उदयपुर, जिला सांस्कृतिक समिति, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला गाँधी स्मारक समिति, महासचिव, जिला कौमी एकता समिति, जिला पर्यटन समिति, अध्यक्ष, झाँसी पैट्रोल पम्प एवं एच.एस.डी.डीलर संगठन (2003), समन्वयक, प्रथम हिमालयन कार रैली, झाँसी आदि सामाजिक कार्यों के माध्यम से आप एक लोकप्रिय व समर्पित समाजसेवी हैं। अध्यात्म, ज्योतिष, आयुर्वेद व होम्योपैथिक चिकित्सा के माध्यम से आप अनेक असाध्य रोगियों को लाभान्वित कर चुके हैं।

सन् 1995 में मुकुन्द जी के सिनेमाघर नन्दनी में फिल्म “हम आप के है कौन” लगी हुई थी, जिसे देखने के लिए दर्शकों की भारी भीङ उमङ रही थी। इसी से प्रेरित होकर आपने टाकीज की बाहरी दीवारों पर चित्योरी कला शैली के अनेक चित्र बनवा दिये। इन चित्रों को देखने लिए राजश्री प्रोडक्शन की पूरी टीम झाँसी आयी थी। इसके बाद झाँसी महोत्सव के मुख्य मंच पर भी चित्योरी कला को मुकुन्द जी लेकर गये। इन्हीं के प्रयासों का परिणाम है कि इस कला से जुङे तमाम कलाकारों को खूब रोजगार मिलने लगा।

स्टार फोर्ट की जब-जब बात चलती है, लोगों की जुबान पर स्वतः ही मुकुन्द मेहरोत्रा जी का नाम आ जाता है। देश की स्वतन्त्रता के गदर का साक्षी सितारे के आकार वाला यह अनूठा किला एक सदी से अधिक समय तक गुमनामी के अंधेरों में खोया रहा। लेकिन मुकुन्द जी के ही 1995 से लगातार किए गए प्रयास ही थे कि जिससे यह किला सेना द्वारा आम लोगों के लिए खोला गया। जब तत्कालीन मण्डलायुक्त ने बुन्देली व्यंजनों को खोजने का अभियान शुरू किया, तब इसके लिए मुकुन्द मेहरोत्रा जी की अध्यक्षता में बुन्देली व्यंजन समिति का गठन किया गया। सन् 2022 में बुन्देलखण्ड की लोककला, साहित्य, संस्कृति, पर्यटन, व्यंजन एवं ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में अनुकरणीय कार्यों व अतुलनीय योगदान हेतु वरिष्ठ समाज सेवी मुकुन्द मेहरोत्रा जी को “बुन्देलखण्ड पर्यटन गौरव” सम्मान से नवाजा गया।

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी में शिक्षण कार्य के दौरान कई बार मुलाकात हुई ये एक बेहद गंभीर वक्ता के साथ ही महान व्यक्तित्व के धनी भी है।