चित्र व आलेख- विकास वैभव
Banjara Temple, Syawari (Mauranipur, Jhansi)- मऊरानीपुर (ने.हा.-75) गुरसराय मार्ग पर मऊरानीपुर से पूर्व में 5 किमी. की दूरी पर ग्राम स्यावरी में स्थित है यह मन्दिर। इस मन्दिर के निर्माण में लखौरी ईंटों तथा चूने के मसाले का उपयोग किया गया है। यह मन्दिर उत्तर-मध्यकालीन मन्दिर स्थापत्य का अद्वितीय उदाहरण है। इसका निर्माण लगभग 17 वीं शताब्दी में बंजारा समुदाय के लोगों ने करवाया था। मान्यता है कि बंजारे इसके पास स्थित पहाङ से कीमती पत्थर निकाल कर विदेशों में बेचते थे। बंजारा या खानाबदोश एक ऐसा समुदाय है जो एक ही स्थान पर बस कर जीवन यापन करने के बजाय एक स्थान से दूसरे स्थान पर निरन्तर भ्रमण करता रहता है।
कहते हैं कि बंजारे जहाँ अपना डेरा डालते थे, उनमें से कुछ स्थानों पर वे अपने धन को सुरक्षित रखने के लिए जमीन में गाङ देते थे। पहचान के लिए वहाँ मन्दिर, बावङी आदि कुछ निर्माण करवा देते थे। बङद बंजारे अधिकतर अपना धन जमीन में गाङ कर रखते थे। किसी जमाने में बंजारे देश के अधिकांश भागों में परिवहन, वितरण, वाणिज्य, पशुपालन और दस्तकारी से अपना गुजारा करते थे।
पहले बंजारों का मुख्य व्यवसाय नमक का था। अंग्रेजो ने बंजारों को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए 31 दिसम्बर, 1859 ई. को ‘नमक कर विधेयक’ लागू कर दिया। अंग्रेजों के इस फैसले से नमक के व्यापारी इन बंजारों की कमर टूट गई। आखिरकार उन्हें अपना पैतृक नमक का व्यवसाय बदलना पङा। उसके बाद से बंजारे आज तक छोटे-मोटे काम करके अपना जीवन यापन करते हैं।
निकट के दर्शनीय स्थल- शिव मन्दिर, बसरिया (मऊरानीपुर), टोढ़ी फतेहपुर का किला आदि।
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