चित्र व आलेख- विकास वैभव
Vyas Temple, Kalpi (U.P.)- पुराणाकार ऋषि वेद व्यास का जन्म स्थान कालपी के निकट व्यास क्षेत्र था, जिसे अब मदारपुर कहते है। व्यास क्षेत्र में ऋषि व्यास, बाल्मीकि, पराशर, कद्रम, क्षेमोक, च्यवन तथा जयदग्नि के आश्रम रहे हैं। यहाॅं से लगभग 20 किमी दूर ग्राम पराशन में बेतवा नदी के किनारे ऋषि पराशर का आश्रम था। व्यास क्षेत्र में धीवर तथा केवटों की सघन बस्तियां हैं। प्राचीन मत्स्यगंधापुर नामक नगर कालपी के उत्तर पश्चिम में इसी व्यास क्षेत्र में था, जिसे अब मदारपुर कहते हैं। यहाॅं यमुना नदी में एक जौंधर नामक नाला मिलता है, जिसका प्राचीन नाम व्यास गंगा था। यमुना-जौंधर संगम के बीच पहले एक द्वीप था जो पानी के तेज प्रवाह से कटते कटते अब टीला मात्र रह गया है, जिसे व्यास टीला कहते हैं।
पुराण वर्णित कथा के अनुसार ऋषि पराशर तीर्थ यात्रा पर जा रहे थे, यमुना नदी पार करते हुये, नौका खेने वाली केवट कन्या सुन्दर नेत्रों वाली, सत्यवती पर मुग्ध होकर कामार्त हो गये थे। इस पर ऋषि पराशर के संसर्ग से सत्यवती गर्भवती हुई तथा उससे उसी टीले पर जन्मा बालक कृष्ण द्वैपायन व्यास हुआ। मान्यता है कि यहाॅं पर स्थित व्यास टीला पर भगवान वेद व्यास ने अपना आश्रम बनाया था तथा 18 पुराणों की रचना की थी। प्राचीन काल में इसी व्यास टीला पर भगवान वेद व्यास का एक मन्दिर था, जो नष्ट हो गया है। उक्त मन्दिर के भग्नावशेष, पाषाण खण्ड एवं मूर्तियां यत्र तत्र बिखरे पड़े हैं।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात मुख्यमन्त्री संपूर्णानन्द के प्रयासों से इसी व्यास टीला पर श्री व्यास मन्दिर का शिलान्यास 30 जनवरी 1953 ई॰ को महामहिम राज्यपाल कन्हैया लाल माणिक लाल मुंशी ने किया था। अब इस मन्दिर के निकट लगभग 22 एकड़ भूमि पर वेद व्यास ट्रस्ट एवं काशी मठ संस्थान, हरिद्वार की ओर से काशी मठाधीश्वर स्वामी सुधीन्द्र तीर्थ सरस्वती जी की प्रेरणा से बाल व्यास मन्दिर का भव्य निर्माण कराया गया है। इस मन्दिर में 8 विशाल गुम्बद है तथा गर्भगृह में कमल के फूल पर माॅं सत्यवती की गोद में बाल व्यास का सुन्दर विग्रह है, पीछे पिता पराशर खड़े हैं।
निकट के दर्शनीय स्थल- मन्त्रणा स्थली (कालपी), लंका मीनार (कालपी), वीरबल की रंगशाला (कालपी), चौरासी गुम्बद (कालपी), रोपिणि गुरु की समाधि (इटौरा) आदि।
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