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जगम्मनपुर का किला (जालौन)

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चित्र व आलेख- विकास वैभव

Jagammanpur Fort (Jalaun, U.P.)- उरई से उत्तर-पूर्व में 70 किमी॰ की दूरी पर जगम्मनपुर कस्बे में स्थित है यह किला। कन्नौज के राजा जयचन्द्र राठौर ने अपनी कन्या का विवाह सेंगर प्रमुख विशखदेव से करके दहेज में कनार के पास की एक जागीर प्रदान की। सन् 1593 ई. में राजा जगम्मनशाह ने कनार से कुछ दूर पर अपने नाम पर जगम्मनपुर नामक गाॅंव बसा कर एक किले का निर्माण कराया।
यह एक मैदानी दुर्ग है, जो यमुना नदी के तट से क्षरण की वजह से 3 किमी॰ दूर स्थित है। जगम्मनपुर किला समतल भूमि को 40 फुट गहरा खोद कर खाई के मध्य में बनाया गया है। जगम्मनपुर किला एक विशाल महल है, जो तीन मंजिला है। जिसका एक खण्ड तो भूमितल से नीचे पानी भरी खाई के बीच में है और दो मंजिल भूमि से ऊपर हैं। महल, महल प्रांगण, राजा का निवास तथा सुरक्षा खाई सब मिलाकर लगभग 8 एकड़ में किला परिसर है। किले का मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर दिशा की ओर है, जिसमें कीलादार बड़े दरवाजे लगे हुये हैं, दरवाजे कलात्मक एवं चित्रकारी युक्त हैं।
महल के दरवाजे के अन्दर से पश्चिम की ओर एक दालान से चलते हुये महल चैक में पहुॅंचते हैं। महल चैक के दक्षिणी भाग में है लक्ष्मीनारायण का मन्दिर। ऐसी लोकमान्यता है कि इस मन्दिर में प्रतिष्ठित लक्ष्मीनारायण की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा संत तुलसीदास ने करवाई थी। इस अवसर पर संत तुलसीदास ने राजा को एक एकमुखी रुद्राक्ष, एक दहिनावर्ती शंख, खडाऊ तथा लक्ष्मीनारायण की मूर्ति प्रदान की थी, जो अभी भी महल के इस मन्दिर में सुरक्षित रखी हुई है।

मुगलों के समय में जगम्मनपुर पर मुगल बादशाहों का अधिकार था। मुगलों के बाद जगम्मनपुर मराठों का अधिकार हुआ। 1787 ई. में राजा रतनशाह को पूना के पेशवा माधवराव द्वितीय से सनद प्राप्त हुई थी। रतनशाह के वंशज 1844 ई. तक जगम्मनपुर पर राज्य करते रहे। जालौन के मराठा राज्य पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी सरकार का अधिकार हो जाने पर 1844 ई. में जगम्मनपुर राज्य को अंग्रेजी राज्य में शामिल कर लिया गया। इस समय महीपत शाह जगम्मनपुर के राजा थे। अंग्रेजों ने राजा महीपत शाह को सनद प्रदान कर दी और राज्य पर सीधे शासन न करके वार्षिक कर लेने लगे। राज्य पर महीपत शाह का अधिकार बना रहा।
जगम्मनपुर का सेंगर राज्य वंश इस प्रकार है- राजा जगम्मनशाह- उदित शाह- मानशाह- भीमशाह- प्रताप शाह- सुमेर शाह- रत्न शाह- बख्तशाह- महीपत शाह- रूपशाह- लोकेन्द्र शाह और फिर वीरेन्द्र शाह।

निकट के दर्शनीय स्थल- पचनदा, रामपुरा का किला, रोपिणि गुरु का मन्दिर (कुकरगाॅव), बाराखम्भा (कोंच) आदि।

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