चित्र व आलेख- विकास वैभव
Varahi Devi Temple, Kairokhar (Jhansi, U.P.)- गुरसराय-गरौठा मार्ग पर गुरसराय से पूर्व में 10 किमी॰की दूरी पर ग्राम कैरोखर में स्थित यह प्रतिमा प्रतिहार कालीन है। प्रतिहार काल में प्रायः मूर्तियों का निर्माण बाहर से लाये गये बलुये पत्थर से हुआ है। माॅं वाराही हिन्दू धर्म की सप्तमातृका में से एक हैं। यह देवी दुर्गा का तामसि और सात्विक गुणधारी रूप है, जो भगवान विष्णु के वराहावतार की शक्ति रूपा हैं। इनका शीष जंगली शूकर का है। श्री दुर्गा शप्तशति चण्डी के अनुसार शुम्भ निशुम्भ दो महादैत्यों के साथ जब महाशक्ति भगवती माॅं दुर्गा का प्रचण्ड युद्ध हो रहा था तब माॅं भगवती परमेश्वरी की सहायता करने के लिये सभी प्रमुख देवता भगवान शिव, भगवान विष्णु, भगवान ब्रह्मा, देवराज इन्द्र तथा कुमार कात्र्तिकेय ने अपने कर्मो के आधार शक्ति स्वरूपा देवियों को अपने शरीर से निकाल कर देवी दुर्गा के पास प्रेषित किया था। उसी समय भगवान विष्णु ने अपने अंशावतार वाराह की शक्ति माॅं वाराही को प्रकट किया था।
निकट के दर्शनीय स्थल- पठामणि मन्दिर (ठर्रों), रामजानकी मन्दिर (सिंगार), गुरसराय दुर्ग आदि।
