चित्र व आलेख- विकास वैभव
Ammargarh Fort (Jhansi, U.P.)- झाॅंसी-कानपुर मार्ग पर झाॅंसी से 45 किमी0 की दूरी पर अम्मरगढ़ ग्राम में स्थित है यह दुर्ग। आल्हा-ऊदल के गुरु ‘अमर गुरु’ की यह तपोभूमि रही है, इसलिये इस गाॅंव का नाम अमर गुरु के नाम पर रखा गया था। इस किले का निर्माण लगभग 250 वर्ष पूर्व गोसांईयों द्वारा करवाया गया था। पहले यह बुन्देलों के अधिकार में था। समथर के राजा विष्णु सिंह ( 1770-80 ई॰ ) ने अम्मरगढ़ पर चढाई करके अपने राज्य में मिला लिया। यह राज्य 1947 ई॰ तक समथर राज्य के अन्तर्गत रहा। ग्रेनाइट पत्थर व लाखौरी ईंटों से निर्मित किले के चारों ओर खाई है, जिसमें वर्ष भर पानी भरा रहता है।
अम्मरगढ़ में राजा हिन्दुपत (1827-90ई॰) की महारानी जू की छतरी तथा बाई साहब की हवेली में चित्र हैं। बाई जू की हवेली के प्रदक्षिणा पथ में दीवारों के शीर्ष पर राम के जीवन पर तथा कृष्ण-लीला पर आधारित चित्र हैं। एक स्थान पर योगाभ्यास करते गोसांई दिखाये गये हैं। बाई साहब के स्मारक को सर्पाकार तथा अर्द्ध वृत्ताकार बनाया गया है। बाई साहब के स्मारक में बने हुये चित्र संयोजन की दृष्टि से सुन्दर हैं। इसी के निकट राम के राज्याभिषेक का सुन्दर चित्र बना है।
निकट के दर्शनीय स्थल- समथर का किला, चिरगाॅव का किला आदि।
