आलेख- विकास वैभव
Film Producer Shashadhar Mukharji- शशधर मुखर्जी भारतीय हिन्दी सिनेमा के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता थे। उन्होंने 1930 के दशक में हिमांशु राय की बाॅम्बे टाकीज से अपना करियर प्रारम्भ किया। बाद में संगीतकार मदन मोहन के पिता राय बहादुर चुन्नीलाल, अभिनेता अशोक कुमार और ज्ञान मुखर्जी के साथ 1943 में फिल्मिस्तान स्टूडियो की स्थापना की।

1950 के दशक में उन्होंने अपना स्वयं का फिल्मालय स्टूडियो शुरू किया। उन्हें दिल देके देखो (1959-शम्मी कपूर, आशा पारेख), लव इन शिमला (1960-जाॅय मुखर्जी, साधना), एक मुसाफिर एक हसीना (1962-जाॅय मुखर्जी, साधना) और लीडर (1964-दिलीप कुमार, बैजन्तिमाला ) जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है। उन्होंने जागृति (अभि भट्टाचार्य, प्रणति घोष) के लिए 1956 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का फिल्मफेयर एवार्ड जीता। 1967 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

इनका जन्म 29 सितम्बर 1909 को झाॅंसी (ग्वालियर राज्य, ब्रिटिश भारत) में एक शिक्षित बंगाली परिवार में हुआ था, जो चार भाइयों में दूसरे नम्बर पर थे। इनके छोटे भाई सुबोध मुखर्जी फिल्म निर्देशक तथा प्रबोध मुखर्जी फिल्म निर्माता थे। उनके बड़े भाई रवीन्द्र मोहन मुखर्जी थे, जिनके पुत्र फिल्म निर्देशक राम मुखर्जी की बेटी रानी मुखर्जी प्रसिद्ध अभिनेत्री है। रानी मुखर्जी ने झाँसी का अपना घर इस्कान मन्दिर के लिए दान कर दिया। शशधर की पत्नी सती देवी के तीनों भाई अशोक कुमार, अनूप कुमार और किशोर कुमार हिन्दी सिनेमा में अभिनेता थे। शशधर मुखर्जी ने अपने भाइयों और पत्नी के भाईयों को फिल्म उद्योग में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, और शायद भारतीय सिनेमा में उनका यह सबसे महत्वपूर्ण और स्थाई योगदान है।

बतौर निर्देशक इनके छोटे भाई सुबोध मुखर्जी ने 1955 में फिल्म मुनीम जी (देवानन्द, निरूपा राॅय और प्राण) को निर्देशित किया। सुबोध मुखर्जी की पहली ही फिल्म बाॅक्स आफिस पर धमाल मचाने में कामयाब रही। इस फिल्म के बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सुबोध मुखर्जी ने वाॅलीवुड को एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दी हैं। फिल्म शागिर्द (1967- जाॅय मुखर्जी और सायरा बानो) से लेकर जंगली (1961-शम्मी कपूर और सायरा बानो) और तीसरी आँख (1982- धर्मेन्द्र, शत्रुघ्न सिन्हा, जीनत अमान) जैसी फिल्में दर्शक आज भी बड़े चाव से देखते हैं। फिल्म लव मैरिज (1967- देवानन्द, माला सिन्हा) की कुछ शूटिंग झाँसी के बी.आई.सी. में भी हुई थी। 1985 में फिल्म उल्टा सीधा (राज बब्बर और रति अग्निहोत्री) बनाकर उन्होंने फिल्मी दुनिया से सन्यास ले लिया। शशधर मुखर्जी के बड़े भाई रवीन्द्र मोहन मुखर्जी के पुत्र राम मुखर्जी एक फिल्म निर्देशक और लेखक थे, जिन्हें लीडर (1964-दिलीप कुमार, बैजन्तिमाला), तोमार राखते अमर सोहागा (1993) और बियार फूल (1996) के लिये जाना जाता है। 22 अक्टूबर, 2017 को मुम्बई में उनका निधन हो गया।
शशधर सती देवी के छः बच्चे, पाॅंच बेटे और एक बेटी, रोनो मुखर्जी, जाॅय मुखर्जी, देव मुखर्जी, शोमू मुखर्जी, शिवानी मौलिक और शुबीर मुखर्जी थे। उनके सभी बेटे फिल्म उद्योग में सक्रिय थे, जिनमें सुपर स्टार जाॅय मुखर्जी भी शामिल थे। देव मुखर्जी के बेटे फिल्म निर्देशक अयान मुखर्जी हैं, जिन्होंने फिल्म ये जवानी है दीवानी (2013-रणवीर कपूर, दीपिका पादुकोण) का निर्देशन किया था। शोमू मुखर्जी ने अभिनेत्री तनुजा (अभिनेत्री नूतन की बहन) से शादी की और दो अभिनेत्री बेटियों काजोल और तनीषा के पिता बने। शशधर मुखर्जी का 3 नवम्बर, 1990 को 81 वर्ष की आयु में मुम्बई में निधन हो गया।
