चित्र व आलेख- विकास वैभव
Khooni Darwaza, Chanderi (M.P.)- मध्य प्रदेश के जिला अशोक नगर ( ने॰हा॰-19 ) में स्थित चन्देरी एक छोटा लेकिन ऐतिहासिक नगर है। चन्देरी शिवपुरी से 127 किमी और ललितपुर से 37 किमी॰ का दूरी पर उŸार में स्थित हैं। बेतवा नदी के पास बसा चंदेरी पहाड़ी, झील और वनों से घिरा एक शांत शहर है।

खंगार राजाओं और मालवा के सुल्तानों द्वारा बनवाई गई अनेक इमारतें यहाॅं देखी जा सकती हैं। मान्यताओं के अनुसार चन्देरी का सम्बन्ध महाभारत में वर्णित चेदी वंश के राजा शिशुपाल से माना जाता है। चन्देरी में सांस्कृतिक गतिविधियां चन्देलों के समय (9वीं शताब्दी) से प्रारम्भ हो गई थीं। मुस्लिम इतिहासकार अलबरुनी एवं इत्नबतूता ने 11वीं शताब्दी में चन्देरी का जिक्र किया है।

चंदेरी का यह किला स्थापत्य कला की जीवंत मिसाल है। 11 वीं शताब्दी में राजा कीर्तिपाल द्वारा निर्मित यह चंदेरी का किला पहाड़ी पर स्थित है, जो करीब 71 मीटर ऊॅंचा है और 5 किमी लम्बी दीवार से घिरा हुआ है। बलुआ पत्थर की 250 फीट ऊॅंची चट्टान पर स्थित यह किला उत्तर से दक्षिण तक लगभग 1 मील से भी ज्यादा क्षेत्र में फैला है। 13वीं शताब्दी के अन्त तक यह किला हिन्दू राजाओं के अधिकार में रहा। सन् 1304 ई़. में अलाउद्दीन खिलजी के जनरल आइन-उल-मुल्क ने इस किले को अपने अधिकार में कर लिया। सन् 1520 ई़. में चित्तौड़ के शासक राणा सांगा ने इस किले पर कब्जा कर इसे मेदनी राय खंगार को सौंप दिया।

बाबर ने सन् 1527 ई. में एक बड़े संघर्ष के बाद इस किले पर अधिकार कर लिया। स्न 1540 ई. में यह किला शेरशाह सूरी के अधीन आ गया तथा उसने सुजात खान को यहाॅं का गर्वनर नियुक्त किया। अकबर के समय चन्देरी, मालवा सूबे का एक प्रमुख मुख्यालय रहा। कालान्तर में यहाॅं बुन्देला तथा सिंधिया राजाओं का अधिकार रहा। सन् 1844 ई. में यह किला ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत आ गया।

किले का पश्चिमी द्वार ‘‘खूनी दरबाजा’’ के नाम से प्रसिद्ध है। यहाॅं सन् 1528 ई॰ में चन्देरी के महाराजा मेदनी राय खंगार और बाबर के मध्य हुये युद्ध इतना खून खराबा हुआ था कि किले में बहे खून की धारा इस दरबाजे तक आ गई थी। तभी से इस का नाम खूनी दरबाजा पड़ गया। महाराजा मेदनी राय हजारों खंगार योद्धाओं के साथ लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हुये थे।
किले में नौखण्डा महल, हवा महल, प्रसिद्ध संगीतकार बैजू बावरा (1542-1613 ई.) की समाधि तथा जौहर स्मारक प्रमुख स्थान हैं। वर्तमान में बुन्देली शैली में बनी हस्तनिर्मित साड़ियों के लिये चन्देरी काफी विख्यात है।

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