चित्र व आलेख-विकास वैभव
Rampura Fort (Jalaun, U.P.)
उरई (ने॰हा॰-25) से 50 किमी॰ दूर पहूज नदी के किनारे बसा रामपुरा स्टेट का इतिहास लगभग 700 वर्ष पुराना है, रामपुरा किला स्वयं ही इन वर्षों के एक बड़े हिस्से की महिमा का प्रमाण देता है। जयपुर राज घराने से ताल्लुक रखने वाले इस कछवाहा वंश का पूर्व निवास नरवर मेें था, जहाॅं इन्होंने 1129 तक राज्य किया। नरवर के राजा दुल्हा शाह के बड़े पुत्र बैकुल देव के वंशज बाद में मध्य प्रदेश के लहर और वहाॅं से रामपुरा चले आये। कछवाहों ने इस बीहड़ क्षेत्र में रामपुरा बसाया तथा पहूज नदी के किनारे एक किला बनवाया था। तेरहवीं शताब्दी में राम शाह कछवाहा ने इस वर्तमान नये विशालकाय किले का निर्माण करवाया था। राज्य के लिये पहले रिकार्ड धारक राजा जसवंत सिंह थे, जिन्होंने 1619 ई. में सम्राट जहांगीर से सनद प्राप्त की। इस उपाधि को अंग्रेजी सरकार ने भी मान्यता दी थी, और राजा मान सिंह को पाॅंच हजार की खिलत भी दी गई थी।

यह एक आदर्श मैदानी दुर्ग है। किला ईंट और चूने से बनाया गया है। इसमें चार मंजिलों का विभाजित स्तर का डिजाइन है। किले में लगभग सौ कमरे हैं। राजा समर सिंह के बाद वर्तमान में किले के मालिक केशवेन्द्र सिंह हैं।
निकट के दर्शनीय स्थल- जगम्मनपुर का किला, गोपालपुरा के पाताल तोड़ कुॅये, नदीगाॅव दुर्ग, गुरु का मन्दिर (कुकरगाॅव), बाराखम्भा (कोंच), रामजानकी मन्दिर (कोंच) आदि।

मैंने कुकरगांव स्थित रोपणि गुरु के मंदिर का भ्रमण किया है। वहां के चित्र कलात्मक एवं अध्यात्म से प्रभावित हैं।
वैभव जी द्वारा रचित चित्र बुन्देली शैली के उत्तम उदाहरण हैं
राम औतार सिंह खंगार नीम मैन मुम्बई/लखनऊ