चित्र व आलेख- विकास वैभव
Dashawtar Temple, Devagarh (Lalitpur, U.P.)- यह झाॅंसी से 133 किमी तथा ललितपुर (ने॰हा॰-26) से 33 किमी॰ दूर बेतवा नदी के किनारे देवगढ स्थित है। नदी के दाहिने तट पर पश्चिम की ओर अत्यन्त सुन्दर गुप्त कालीन स्थापत्य का प्रतीक यह देव मन्दिर खड़ा हुआ है। देवगढ़ के दशावतार मन्दिर में 6 वीं सदी की गुप्तकालीन वास्तुकला की चरमोन्नति के दर्षन होते है। शिखर शैली का यह मन्दिर उत्तर भारत में अपने प्रकार का प्राचीनतम उदाहरण है।

ऊपरी शिखर भाग बहुत पहले ही लुप्त हो चुका है। यह मन्दिर ऊॅंची जगती पर बना हुआ है। जिसके चारों ओर बीचों बीच सीढ़ियां निर्मित हैं। इस का गर्भगृह 9 फिट 3 इंच का वर्गाकार है। दीवालें 3 फीट 7 इंच मोटी है। गर्भगृह का प्रवेश द्वार प्रतिहारी, मिथुन, दम्पती, प्रमथ आकृतियों तथा पत्रलता आदि से अलंकृत है। ऊपर दाहिनी ओर मकरासीन गंगा तथा बांयी ओर कूर्मासीन यमुना अंकित है। ललाटबिम्ब पर विष्णु की आकृति उत्कीर्ण है। बाहर की दीवालों पर तीन ओर रथिकाबिम्बों में मूर्ति फलक लगे हुये है। बेतवा नदी की सुरम्य घाटी के मध्य व विन्ध्य पर्वत की प्राकृतिक सौन्दर्य की अनोखी छटा लिये इस मन्दिर का निर्माण छठी शताब्दी के आसपास हुआ है।
देवगढ़ के दशावतार मन्दिर में उत्तर की ओर गजेन्द्र मोक्ष का दृश्य अंकित किया गया है। यहाॅं भयातुर गजराज को ग्राह के चंगुल से छुड़ाने हेतु गरुड़ारुढ़ विष्णु नीचे की ओर उतरते हुये प्रदर्शित है। नागराज पत्नि सहित हाथ जोड़े हुये नमस्कार मुद्रा में उपस्थित है। ऊपर मुकुट लिये हुये विद्याधर उड़ रहे हैं। जलाशय का सुन्दर आलेखन है।
निकट के दर्शनीय स्थल- शान्तिनाथ जैन मन्दिर (देवगढ़), लक्ष्मी नारायण मन्दिर समूह (चाॅंदपुर-जहाजपुर), कुरैया वीर मन्दिर (कुचदौं)।

बहुत बढ़िया भाई साहब ललितपुर के लिए बेहतरीन कार्य आपके द्वारा हो रहा है
बुंदेलखंड की धरोहर का सुंदर चित्रण एवं महत्वपूर्ण उपयोगी विवरण निश्चित ही एक सराहनीय कार्य है आपको बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं