चित्र व आलेख- विकास वैभव
Laxmi Narayan Temple, Chandpur-Jahazpur (Lalitpur, U.P.)- चंदेल कालीन वास्तु एवं मूर्तिकला का अद्भुत प्रमाण प्रस्तुत करने वाला चाॅंदपुर-जहाजपुर का यह लक्ष्मी नारायण मन्दिर जिला मुख्यालय से लगभग 32 किमी॰ दूर देवगढ़ मार्ग पर सैपुरा से 07 किमी की दूरी पर स्थित है। चाॅंदपुर-जहाजपुर धौर्रा स्टेशन से लगभग 3 किमी॰ की दूरी पर स्थित है । चाॅदपुर-जहाजपुर चंदेल कालीन पुरातात्विक अवशेषों की दृष्टि से अत्यन्त समृद्धशाली है। चन्देल शासकों के अधीन धसान के पूर्व और विन्ध्याचल पर्वत के उत्तर-पश्चिम का भाग रहा, उत्तर में यह यमुना नदी और दक्षिण में केन नदी तक फैला था। चंदेल काल के बुन्देलखण्ड में वास्तुकला, मूर्तिकला तथा अन्य कलाओं का भरपूर विकास हुआ, जिसमें खजुराहो, अजयगढ़, कालिंजर, महोबा और चाॅंदपुर के मन्दिर व किले दर्शनीय हैं। चंदेल वंश के संस्थापक चंद्र वर्मन ने अपने नाम पर इस नगर की स्थापना की। उस समय इस नगर का नाम चन्द्रपुर रहा। मुगल काल में सामयिक घटनाक्रमों के चलते इस नगर का नाम चाॅंदपुर हो गया। चारों तरफ मंदिरों के अवशेष विखरे पड़े हैं। अधिकांश मूल्यवान मूर्तियां चोरो द्वारा चुरा ली गई हैं। बची हुई श्रेष्ठ मूर्तियों को पुरातत्व विभाग ने झाॅंसी संग्रहालय में रखवा दिया है।
निकट के दर्शनीय स्थल- दशावतार मन्दिर (देवगढ़), कुरैया वीर मन्दिर (कुचदौं)